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सरकार ने बदली सेवा विस्तार की पॉलिसी

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सरकार ने अवार्डी शिक्षकों के सेवा विस्तार को लेकर नई पॉलिसी जारी कर दी है। इसमें अवार्डी शिक्षकों को सेवा विस्तार देने के बाद उनका प्रति माह का वेतन तय किया है, जो काफी कम है। स्टेट और नैशनल अवार्डी जेबीटी, टीजीटी, सीएचटी, सी एंड वी व पीईटी का प्रति माह 20 हजार वेतन तय किया गया है। प्रवक्ता, पीजीटी, डीपीई व हैडमास्टर का प्रति माह 25 हजार व प्रधानाचार्य का प्रति माह 30 हजार वेतन तय किया गया है। इसके अलावा शिक्षकों को सेवा विस्तार देने के बाद राज्य के किसी भी जिले के स्कूलों में भेजा जाएगा। सरकार की इस नई पॉलिसी से प्रदेश के स्टेट और नैशनल अवार्डी शिक्षकों को झटका लगा है। हालांकि इससे पूर्व सेवा विस्तार के बाद शिक्षकों को पुराना वेतन ही दिया जाता रहा है। गौर हो कि नैशनल अवार्डी को वर्ष 2015 से 2 वर्ष और स्टेट अवार्डी को एक वर्ष का सेवा विस्तार दिया जाता है। 

सेवा विस्तार न लेने पर पूर्व की भांति नैशनल अवार्डी शिक्षकों को 60 हजार व स्टेट अवार्डी शिक्षक को 40 हजार रुपए बतौर पुरस्कार राशि दी जाएगी। संबंधित डीडीओ इस राशि को ड्रा करने के लिए अधिकृत होगा। इसके बाद वह अवार्डी शिक्षक के  खाते में इस राशि को डालेगा। इस दौरान अवार्डी शिक्षक को सेवा विस्तार की तिथि से 6 महीने पहले विभाग को ऑप्शन देनी होगी। शिक्षक को बताना होगा कि उसे सेवा विस्तार लेना है या पुरस्कार की राशि लेनी है। उल्लेखनीय है कि 19 जून को हुई कैबिनेट की बैठक में शिक्षकों का वेतन फिक्स किया गया था, जिसे अब लागू कर दिया गया है। शिक्षा विभाग ने जिलों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। 

प्रदेश सरकार ने स्टेट अवार्ड के नियमों में कोई बदलाव नहीं किया है। पूर्व की तरह ही शिक्षक स्टेट अवार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं। जिला उपनिदेशकों को यह आवेदन किया जाएगा। इसके बाद जिला स्तर पर बनाई गई कमेटी आवेदनों की छंटनी कर इसे शिक्षा विभाग को भेजेगी। स्टेट अवार्डी शिक्षकों को कहना है कि सरकार ने अवार्डी शिक्षकों को सम्मानजनक वेतन देने का वायदा भी नहीं निभाया है। हिमाचल प्रदेश पुरस्कृत शिक्षक मंच के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र कुमार का कहना है कि एक शिक्षक को 22 वर्ष की आयु से बतौर शिक्षक कार्य करना प्रारंभ करता है और जीवन में 36 वर्षों तक सेवाएं देता है। यदि सरकार प्रदेश के वशिष्ठ शिक्षकों को सम्मान देने में असमर्थ है तो पुरस्कार जैसी प्रथा को बंद कर देना चाहिए। सरकार को औछी राजनीति करने वाले शिक्षक नेताओं के बहकावे में नहीं आना चाहिए। सरकार शिक्षक पुरस्कार प्रक्रिया को एक बार अवश्य जांच ले।

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